रामनवमी की पूजा का शुभ मोहरत

राम नवमी का महत्व

राम नवमी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के यहाँ हुआ था। श्रीराम, विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं और उनके जन्म के अवसर पर घर-घर में भजन-कीर्तन और पूजा का आयोजन किया जाता है। राम नवमी पर श्रीराम के जन्म का उत्सव मनाने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन को केवल पूजा के रूप में ही नहीं बल्कि सत्य, धर्म और निष्ठा के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

राम नवमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

हर साल राम नवमी की तिथि पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकती है, लेकिन यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन राम जन्म का सबसे शुभ समय मध्याह्न मुहूर्त में होता है, जो दोपहर 12 बजे के आसपास आता है। इस अवसर पर लोग उपवास रखते हैं और भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन की गई पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है और इसे करने से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

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राम नवमी की पूजा विधि

राम नवमी की पूजा करने के लिए सबसे पहले घर को स्वच्छ किया जाता है और पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुना जाता है। श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित किए जाते हैं और पूजा स्थल को फूलों से सजाया जाता है। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में श्रीराम की प्रतिमा, जल, अक्षत, रोली, मौली, फूल, तुलसी दल, फल, पंचामृत, धूप, दीप, घी, कपूर, प्रसाद और रामचरितमानस या रामायण शामिल होते हैं।

पूजा प्रारंभ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं और पूर्व दिशा में बैठकर पूजा का संकल्प लिया जाता है। जल छिड़ककर पूजा स्थल और स्वयं को शुद्ध किया जाता है। श्रीराम की मूर्ति या चित्र को स्नान कराया जाता है और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। भगवान को तिलक लगाया जाता है और उनके समक्ष दीपक जलाकर धूप दिखाया जाता है। इसके बाद श्रीराम के मंत्र का जाप किया जाता है। रामचरितमानस या रामायण का पाठ किया जाता है और हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जाता है।

राम नवमी की आरती

आरती करने से पूजा पूर्ण होती है और वातावरण भक्तिमय बन जाता है। श्रीराम की आरती करने के लिए घी या कपूर का दीप जलाकर श्रद्धा से गाया जाता है। श्रीरामचंद्रजी की आरती विशेष रूप से गाई जाती है जिसमें भगवान श्रीराम के दिव्य स्वरूप का गुणगान किया जाता है। इसके अलावा हनुमानजी की आरती भी की जाती है जिससे भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रीराम की आरती करने से मन को शांति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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राम नवमी पर गाए जाने वाले भजन

राम नवमी पर भजन और कीर्तन का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रीराम के भजन गाए जाते हैं जिससे वातावरण भक्तिमय बनता है। श्रीराम के प्रसिद्ध भजनों में “राम नाम का गुणगान करो”, “रामजी की निकली सवारी”, “श्रीराम जय राम जय जय राम”, “मंगल भवन अमंगल हारी” और “भजो रे मन राम राम राम” शामिल हैं। इन भजनों को गाने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है।

राम नवमी पर किए जाने वाले विशेष उपाय

इस शुभ अवसर पर कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जाप करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है। गरीबों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में रामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ करने से शांति बनी रहती है।

राम नवमी का समापन और प्रसाद वितरण

राम नवमी का समापन भगवान श्रीराम की आरती और प्रसाद वितरण के साथ किया जाता है। परिवार के सभी सदस्य राम नाम का स्मरण करते हैं और अपने जीवन को श्रीराम की भक्ति में लगाते हैं। यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और सत्कर्मों का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और सभी कष्टों का निवारण होता है। इस दिन को पूरी आस्था और नियमों के साथ मनाना चाहिए जिससे भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त हो।

राम नवमी पर भगवान श्रीराम के जीवन और आदर्शों को अपनाना चाहिए। वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और उनके जीवन से हमें सत्य, कर्तव्य और धर्म का पालन करने की सीख मिलती है। इस दिन को केवल उत्सव के रूप में नहीं बल्कि जीवन को संवारने के एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। जब हम उनके बताए गए मार्ग पर चलते हैं तो हमारा जीवन सफल और आनंदमय बनता है। राम नवमी के इस शुभ अवसर पर हमें उनके गुणों को आत्मसात करने और अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।

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